Thursday 9 May 2019

और चाबी चोरी हो जाए


बात बतंगड़

वेद प्रकाश भारद्वाज

चुनावी जुमलाबंदी के इस दौर की बात ही कुछ और है। जैसे-जैसे परीक्षा की अंतिम घड़ी निकट आती जा रही है सांसों का तूफान और तेज हो रहा है। दिमाग के घोड़े रोके नहीं रूक रहे। जुबान की मझली कब किधर फिसल जाए कुछ कहा नहीं जा सकता। हर कोई खुद को पास और दूसरों को फेल बता रहा है। कोई कुछ भी कहने-बताने को स्वतंत्र है। बुवाजी ने दिल्ली दरबार का ख्वाब देखा तो भतीजे जी तत्काल तश्तरी में ताज लेकर आगे आ गये। उधर दक्षिण के सूरमा अलग राग अलापने लगे हैं, सत्ता की चाबी हमारे पास है। बोल तो दिया पर अब डरे-डरे हैं। कहीं ऐसा न हो कि चाबी चोरी हो जाए। इधर राहुल भैया चंद्रा चाचा से मिटिंग कर गुपचुप कुछ फिक्स कर आये हैं। क्या फिक्स किया है अभी किसी को पता नहीं।  चंद्रशेखर जी से यह सब नहीं देखा गया तो बोल ही पड़े की सत्ता की चाबी दक्षिण के हाथ में है। अब सबसे चाबी छुपाते घूम रहे हैं। अब लग रहा है गलत समय पर बोल पड़े। मोदी जी ने अपने पत्ते अभी तक छुपा कर रखे हैं। कभी-कभी जोश में आकर इशारा कर देते हैं। बंगाल में दीदी का कुनबा तोड़ने का संकेत दे ही चुके हैं। दिल्ली में आप में तोड़-फोड़ मच ही चुकी है। रख लो अभी चाबी। हम ताला ही बदल देंगे। 
9-5-2019  

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